रजनी की शादी थी आज| देव-वीणा नहीं आए| हाँ, देव ने जिदद् करके अमित को माँ के साथ भेज दिया था| अमित और माँ को अकेले आए देखकर निर्मला के आँखों की चमक दूर हो गई| लेकिन शादी के वातावरण को बोझिल न होने देने की सोचकर वह क्रष्णा से गले मिली| प्यार से उसे बिठाया और धीमे से बोली - "बहन जी, वीणा को भी साथ ले आते तो कितना अच्छा होता....|"